मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद, वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है। मेरी गाली …

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है।
मेरी गाली से गुजरते है छुपा के खंजर,
रूबरू होने पर सलाम किया करते है।
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Source by Kajal Mahato